अच्छी सोच
प्यारे दोस्तों
नकारात्मक सोच मनुष्य को अंधेरे की और ही धकेलता है। यदि आपके पास दृढ़ इच्छा शक्ति हो और सकारात्मक सोच हो तो निश्चित ही ऊपर वाला आपके साथ होगा, बस आपको प्रयास करने कि जरूरत है ।
इस बंद के दौरान हमारे बचपन की धरवाहिको की लड़ी लग गई थी, उसमे सबसे महत्त्वपूर्ण और रोचक रामानंद सागर द्वारा निर्देशित रामायण थी, महाराज रावण जो दिग्विजय , महाज्ञानी, तपस्वी, समस्त, शास्त्रों का ज्ञाता, जिस से देव और दानव भी कांपते थे, यमराज भी जिसके सम्मुख आने से कतराते थे, वैसे प्रतापी लंकेश पति, रावण का सामना माता सीता अशोक वाटिका में अपनी सतीत्व के भरोसे एक घाश(कुश) के सहारे ही सामना करती थी, ये उनका सकारात्मक सोच और उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति ही थी जो रावण को उनके सामने विवश होने पर मजबुर कर देती थी।
उसी इच्छा शक्ति की उसी सकारात्मक सोच की हम सब को जरूरत है, तभी हम आत्म निर्भर भारत की परिकल्पना को धरातल पर उतार सकते है। मैं एक साधारण सा उदाहरण देता हूं, जब भारत देश में कोरॉना महामारी का आगाज हो गया था, जब धीरे धीरे हमारे देश की विभिन्न शहरों, गावों, टोलो में अपनी पावं पसारने लगी थी, उस समय हम चीन या अन्य दूसरे देश पर N 95 मास्क और पी पी ई किट की उपलब्धता के लिए हम निर्भर थे, परन्तु ये हमारा सकारात्मक सोच ही था, और हमने इस आपदा को अवसर में बदलने का संकल्प लिया जिसके उपरांत आज हम विश्व के सबसे बड़े पिं पी ई किट के निर्माता बन गए है और दूसरे देशों में भी इसका निर्यात कर रहे है।
भारत पूरे विश्व का सबसे बड़ा जेनरिक दवाइयों का निर्माता है, और यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हम अधिकांश देशों को अपनी सस्ती दवाओं के निर्यात कर उनके स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान में मदद कर रहे है।
आज पूरी दुनिया में कोरोना का हाहाकार है, पूरी दुनिया इस बीमारी से निजात पाने के लिए जिद्दो जहत में लगी हुई है, सभी यही सोच रहे है की कब इसकी टीका आएगी, ऐसे में हमारा देश विश्व से कदम से कदम मिलाकर चल रहा है, और हमारे देश की बहुत सारी कंपनियां इस काम में जी जान से लगी हुई है, और यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी की पूरा विश्व टीका के लिए भारत की और टकटकी लगाए हुए है, तो बंधु हम और आप क्यों नकारात्मक सोच की और भागे जा रहे है, आइए हम इस अंधेरे से निकल कर सकारात्मकता की रौशनी से नहाएं और अपनी दिन की शुरुवात भगवान सूर्य की किरणों के साथ करें। जो पूरी दुनिया को ऊर्जावान बनाते है, हम उनकी अशीम कृपा के साथ खुद को ऊर्जावान बनाए और सकारात्मक सोच के साथ अपनी दिन की शुरुवात करे।
Nice written liine Dr sahab
Good very true and motiveted
उन्नत लेख… सकारत्मक सोच का सबसे अच्छा उदाहरण एक मैंने सूना था के एक रोगी जो असाध्य रोग से पीड़ित था, डॉ के पास गया, रिपोर्ट के लिए उसे दुसरे दिन बुलाया गया| पर गलती से एक स्वस्थ व्यक्ति कि रिपोर्ट उसके नाम से हो गयी और नियति ये हुई के वो अस्वस्थ व्यक्ति निरोग होने लगा, दूसरी तरफ जिस स्वस्थ व्यक्ति के हाथ में गलत रिपोर्ट आई वो मायूस होकर रहने लगा ओर अंतत उसकी मृत्यु हो गयी|
खैर, भारत पूरे विश्व का सबसे बड़ा जेनरिक दवाइयों का निर्माता है…
ये जानकारी नहीं थी मेरे पास…. धन्यवाद डॉ. राकेश.