पीर बन गई पहाड़
जब बाहर कमाने गए तो भैया बन गए । और जब अपने घर आए तो मुंबईया बन गए”
अपनों ने भी अब मुंह मोड़ा। जब से है नौकरी छूटा। क्योंकि जिनके थे हम भैया , अब वो भी कहते हमको मुंबईया।
जब बाहर कमाने गए तो भैया बन गए । और जब अपने घर आए तो मुंबईया बन गए”
अपनों ने भी अब मुंह मोड़ा। जब से है नौकरी छूटा। क्योंकि जिनके थे हम भैया , अब वो भी कहते हमको मुंबईया।
यहाँ की सरकारी अस्पताल और यही के चिकित्सक के भरोसे अब आप की जिंदगी है, और मुझे एक चिकित्सक होने के नाते गर्व है कि मै अपना धर्म निभा रहा हूं, परन्तु आप सभी से यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था छुपी हुई नहीं है और ना ही मुझे बताने की जरूरत है
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