सहज और सजग

यह रिपोर्ट पढ़ कर निश्चित ही आपका मन, आत्मा और आपकी दिमाग अनिश्चितता  कि तरफ जा रही होगी, आखिर क्या हो गया ऐसा की बिहार में  अचानक  एक महीने में संक्रमितों की संख्या चार गुना हो गई, सहसा आपके मन मस्तिष्क से जवाब आएगा, की एक महीने में लगभग पच्चीस लाख प्रवासी मज़दूर बिहार वापस आए है, और सरकारी आंकड़े के हिसाब से आधे से ज्यादा संक्रमित इन्हीं आबादी से है। बात भी सही है क्योंकि लगभग 99%से ज्यादा जांच इन्हीं प्रवासियों की हुईं है, और बिहार में अभी तक कुल जांच की संख्या लगभग पंचनाबे हजार हुई है, जिसमें आम जनता से लेकर प्रवासियों सभी शामिल है।

अमेरिका,ब्रिटेन, इटली , वुहान सभी लोगो ने अपने यहां ज्यादा से ज्यादा जांच करवाई, उसके मुकाबले हमारे देश में जांच की संख्या काफी कम है, फिर भी औसतन रोज जो भी केस की संख्या हमारे देश में निकल रही है वह हमें विश्व में पांचवें  स्थान पर ला  का कर खड़ी कर दी है।

यह तब की स्थिति है जब हमारे यहां दूसरे विकसित देशों के मुकाबले जांच की संख्या कम है, यदि हमारे देश में भी वृहद रूप मे जांच होने लगे तो यह कहना नहीं होगा की रातों रात हम अमेरिका को पीछे छोड़ कर पहले पायदान पर होंगे।

इस महामारी का भयावह रूप अब सामने आने लगी है, आप इस  बात से ही अनुमान लगा सकते है कि देश की राजधानी नई दिल्ली और अर्थव्यवस्था की राजधानी कहलाने वाली मुंबई(महाराष्ट्र) दोनों की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो यहां तक कह दिया कि दिल्ली में अब केवल दिल्ली वालो का ही इलाज होगा, उनके अनुसार उनके पास केवल 9500 बेड है, और औसतन रोज 1000 केस दिल्ली में निकल रहे है यदि ऐसे में दूसरे राज्यों के मरीज़ को हम भर्ती करते है तो दो दिन में पूरे अस्पताल की बेड भर जाएंगी। तो आखिर सवाल उठता है कि आखिर दिल्ली वाले है कौन, आज तक तो एन सी आर वाले खुद को दिल्ली वाले हीं बताते थे, जो लोग दिल्ली कमाने गए थे वो भी दिल्ली वाले ही थे, जो बच्चे दिल्ली में पढ़ाई कर रहे थे वो भी दिल्ली वाले ही थे, पर केजरीवाल साहब के अनुसार ये बाहरी है, क्योंकि दिल्ली वाले तो वहीं होंगे जिनका वोटर कार्ड होगा, जिनका आवासीय प्रमाण पत्र होगा, तो आखिर अभी तक जो खुद से खुद को दिल्ली वाले बताते थे उनका क्या होगा, क्योंकि उनको यदि ये बीमारी लगती है तो  किसी भी दिल्ली सरकार की अस्पताल में उनका दाख़िला और इलाज होना तो संभव नहीं लगता।

आप यदि हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को समझे तो देश की जो भी शीर्ष अस्पताल है वो तो दिल्ली में है जहां से आप अब महरूम हो चुके, मतलब आप जिस बिहार, या झारखंड  में रहे है, यहाँ  की सरकारी अस्पताल और यही के चिकित्सक के भरोसे अब आप की जिंदगी है, और मुझे एक चिकित्सक होने के नाते गर्व है कि मै अपना धर्म निभा रहा हूं, परन्तु आप सभी से यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था छुपी हुई नहीं है और ना ही मुझे बताने की जरूरत है, आप सब एक बार सरकारी अस्पताल में जा  कर घूम आए तो आप हकीकत से रूबरू हो जाएंगे।

बिहार सरकार और झारखंड सरकार , भारत के अन्य राज्यों के सरकारों से कहीं ज्यादा प्रयासरत है इस बीमारी के खिलाफ जंग में, निरंतर जांच की संख्या में इज़ाफा हो रहा है, प्रवासी मज़दूरों को क्वारंटाइन  कर निश्चित ही  इस बीमारी के प्रसार को रोकने की कोशिश की है, परन्तु लोकडाउन के खुलने के बाद संक्रमितों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई है।

मेरा यह लेख आपको डराने के लिए नहीं बल्कि आपको सजग रहने के लिए है, आप खुद में चिंतन करे, आज भगवान आपकी जिंदगी आपके हाथ में दे दिए है, आप चिंतन करे कि हम किन व्यवस्था के साथ जी रहे है, तभी आप इस जंग में जीत सकते है। 

सहज रहें, सजग रहें ।

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